नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार (21 दिसंबर 2024) को चुनाव आचरण नियम, 1961 में संशोधन किया। चुनाव आचरण नियम, 1961 के पहले नियम 93 (2) (ए) में कहा गया था कि “चुनाव से संबंधित अन्य सभी कागजात सार्वजनिक निरीक्षण के लिए खुले रहेंगे।” इस संशोधन को लेकर कांग्रेस चुनाव आयोग, पारदर्शिता और इस कानून में ‘जल्दबाजी’ में किए गए संशोधन पर सवाल उठा रही है।
कांग्रेस ने पारदर्शिता पर उठाए सवाल:
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “यह हाल के दिनों में भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रबंधित चुनावी प्रक्रिया की तेजी से घटती अखंडता के बारे में हमारे दावों का सबसे स्पष्ट सबूत है। पारदर्शिता और खुलापन भ्रष्टाचार और अनैतिक प्रथाओं को उजागर करने और खत्म करने में सबसे अधिक मददगार है और जानकारी इस प्रक्रिया में विश्वास बहाल करती है।” कांग्रेस नेता ने लिखा, “पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस तर्क से सहमति जताते हुए चुनाव आयोग को सभी सूचनाएं साझा करने का निर्देश दिया था। ऐसा करना कानूनी रूप से भी जनता के साथ जरूरी है।
लेकिन फैसले का पालन करने के बजाय चुनाव आयोग कानून में संशोधन करने की जल्दबाजी में है, ताकि साझा की जा सकने वाली सूचनाओं की सूची कम हो जाए। चुनाव आयोग पारदर्शिता से इतना क्यों डरता है? आयोग के इस कदम को जल्द ही कानूनी रूप से चुनौती दी जाएगी।” यह हाल के दिनों में भारत के चुनाव आयोग द्वारा प्रबंधित चुनावी प्रक्रिया की तेजी से घटती अखंडता के बारे में हमारे दावों के बारे में सबसे स्पष्ट सबूत है।
संशोधन से क्या बदलेगा?
लेकिन सरकार द्वारा किए गए नए बदलाव में अब केवल चुनाव नियम 1961 के कागजात ही सार्वजनिक निरीक्षण के लिए उपलब्ध होंगे, यानी चुनाव से जुड़े सभी कागजात सार्वजनिक निरीक्षण का हिस्सा नहीं होंगे। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा अधिसूचित इस बदलाव के साथ, जनता अब चुनाव से जुड़े सभी कागजात का निरीक्षण नहीं कर पाएगी। केवल चुनाव नियमों के संचालन से जुड़े कागजात ही जनता के लिए सुलभ होंगे।