मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश की जनता के पैसों को हवाई खर्चों और प्लेन खरीदने में किया जा रहा है बर्बाद
मध्यप्रदेश में “जनकल्याण अभियान पर्व” की जगह “मुख्यमंत्री स्व-कल्याण पर्व” मनाना चाहिए
क्या मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने निजी कार्यों और आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये प्रदेश में हवाई यात्रा का बुना जाल?
सरकार ने एक वर्ष में की 32 करोड़ से अधिक की हवाई यात्रा
मध्यप्रदेश द्वारा खरीदे जा रहे बॉम्बार्डियर प्लेन प्रदेश की 80% हवाई पट्टियों पर नहीं उतर सकता
मुख्यमंत्री के दवाब में जगह ना होने के बावजूद हवाई पट्टियों का किया जा रहा है चौड़ीकरण
सूत्रों के अनुसार वल्लभ भवन में गूगल अर्थ से जगह दिखाकर कलेक्टर्स पर डाला जा रहा है दबाव
आज मध्यप्रदेश की वित्तीय स्थिति काफी दयनीय है, किन्तु वित्तीय व्यय को सीमित करने की जगह मुख्यमंत्री अपनी विलासिता के लिए खर्च कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में ज्यादातर विमानन विभाग मुख्यमंत्री के पास ही रहा है। फिलहाल मुख्यमंत्री ही विमानन विभाग के मंत्री भी हैं। बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश की इतनी बुरी माली हालत के बाद मुख्यमंत्री ने पिछले एक साल में फिजूलखर्ची कर जनता के पैसों में आग क्यों लगा रहे है। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, रीवा, खजुराहो और एक दो शहरों को छोड़कर मध्यप्रदेश सरकार द्वारा खरीदे गए 233 करोड़ के चैलेंजर-3500 बॉम्बार्डियर प्लेन, प्रदेश के ज्यादातर हवाई पट्टियों पर उतर ही नहीं पाएगा। टेक्निकली इन हवाई पट्टियों का आकार बॉम्बार्डियर प्लेन को लैंड कराने लायक ही नहीं है। सूत्रों के मुताबिक प्रमुख सचिव विमानन कलेक्टरों द्वारा हवाई पट्टियों का आकार बढ़ाने के लिए दबाव मोहन यादव के निर्देश पर बना रहे हैं। कुछ कलेक्टरों द्वारा असमर्थता दिखाने के बाद वल्लभ भवन से गूगल अर्थ के माध्यम से खाली जगह दिखाई जा रही है ताकि पट्टियों का निर्माण लिए गए प्लेन के माफिक हो सके। मेरे द्वारा विमानन विभाग से सूचना के अधिकार पत्र क्रमांक एफ-43/आर.टी.आई./662 दिनांक 01-07-2022 से प्राप्त जानकारी अनुसार 2021 में तब के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शासकीय/किराए से लिए हुए प्लानों से कुल 45-50 यात्राएं की। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अकेले ही मुख्यमंत्री बनने के बाद एक साल में 486 से अधिक यात्राएं कर डाली हैं, इनमें से केवल उज्जैन-इंदौर के लिए मोहन यादव द्वारा 150 से अधिक बार हवाई यात्राएं की। इसका मतलब मुख्यमंत्री उज्जैन शहर से भोपाल अप-डाउन करते थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक तरफ जहां देश में जनसेवक के रूप में कार्य कर देश को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था को पूरी तरह से चौपट करने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव के कारनामों का प्रमाण कांग्रेस विधायक द्वारा विधानसभा में पूछे गये एक सवाल के जबाव में मिला। जिसमें प्रदेश के नगरीय विमानन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री व मंत्री सहित आईएएस अफसरों ने एक वर्ष में लगभग 32 करोड़ रुपये से अधिक की हवाई यात्रा की हैं। यानि प्रतिदिन मोहन सरकार ने लगभग 09 लाख रुपये केवल हवाई यात्रा पर ही उड़ा दिये हैं। यही नहीं 365 दिन के एक वर्ष में मोहन सरकार के कार्यकाल में कुल 666 हवाई यात्रायें हुई जिसमें से 486 से अधिक यात्रा तो सिर्फ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अकेले ही कर ली। बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश सरकार के मुखिया और नुमाइंदों द्वारा की गई इन यात्राओं का औचित्य क्या निकला। क्या परिणाम प्राप्त हुये हैं इन यात्राओं के इस बारे में जानकारी प्रदेश की मोहन सरकार ने विधानसभा पटल पर क्यों नहीं रखी। विभाग के सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सबसे अधिक यात्रा सिर्फ भोपाल से इंदौर और उज्जैन के बीच में की है। संख्यावार देखा जाये तो लगभग एक वर्ष में उन्होंने 150 से अधिक वार सिर्फ भोपाल-उज्जैन के बीच यात्रा की। जिसमें वे कभी सुबह चाय पीने, तो कभी दोपहर का लंच करने और कभी रात में परिवार के साथ भोजन करने भोपाल से उज्जैन सीधे हवाई मार्ग से पहुंचते। जनता के टैक्स के पैसों का पिछले एक वर्ष में मोहन सरकार ने किस तरह से बंटाधार किया है यह आंकड़ें इस बात का परिणाम है।
ऐशो आऱाम की जिंदगी काट रहे मुख्यमंत्री
प्रदेश का मुखिया बन ऐश की जिंदगी काटने वाले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का तरीका बिल्कुल राजशाही है। वे हवाई जहाज से नीचे यात्रा नहीं करते और बगैर 25 गाड़ियों के काफिले के कहीं दौरे पर नहीं जाते। जबकि देखा जाये तो उनके इस काफिले में महज पांच गाड़ियों की आवश्यकता होती है लेकिन वर्तमान में 20 से अधिक गाड़ियां सड़कों पर दौड़ती दिखाई देती हैं जिसका कोई विशेष औचित्य नहीं। यह सिर्फ जनता के पैसों की बर्बादी और राज्य के बजट को समाप्त करने की जुगत है। मुख्यमंत्री यादव केवल अपना विकास चाहते हैं इसलिये वे अपने किसी ऐशो आराम में कमी नहीं होना देना चाहते हैं।
233 करोड़ से नया प्लेन खरीदने की योजना
प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के अनुसार मोहन सरकार कनाड़ा की एक विशेष कंपनी से नया जेट प्लेन चैलेंजर-3500 खरीदने जा रही है। इसके लिये मोहन यादव ने प्लानिंग करके पहले विधानसभा में बजट पास कराया और फिर कैबिनेट में सहमति पत्र जारी कर कनाडा की कंपनी बॉम्बार्डियर इंक को नये विमान का वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया है। यानि मध्यप्रदेश सरकार ने कनाडा की कंपनी बॉम्बार्डियर इंक के चैलेंजर 3500 मॉडल को 233 करोड़ रुपये में खरीदने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार का हवाई जहाज छह मई 2021 को ग्वालियर मैं लैंडिंग के दौरान विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। कंपनी ने उस विमान को ‘बियॉन्ड रिपेयर’ करार दिया। यानी अधिकारियों की लापरवाही के कारण उसकी मरम्मत नहीं हो सकती थी।
अब हवाई पट्टी चौड़ीकरण का दिया आदेश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बगैर सोचे-समझे कनाडा की इस कंपनी से नया प्लेन खरीदने का आदेश तो जारी कर दिया, लेकिन जब अधिकारियों ने इसकी पड़ताल की तो मालूम चला कि यह प्लेन भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर के अलावा प्रदेश के किसी भी जिले की हवाई पट्टी पर उतरने में सक्षम नहीं है। जब विमानन विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचाई तो मुख्यमंत्री ने प्रदेश की हवाई पट्टी चौड़ीकरण का शगूफा छोडा और प्रदेश में करोड़ों रुपये सिर्फ अब हवाई पट्टी के चौड़ीकरण में खर्च किये जा रहे हैं। यही नहीं मंत्रालय के एक उच्च स्तरीय अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी कि कई जिलों में हवाई पट्टी चौड़ीकरण के लिये अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता पड़ रही है जिसके अधिग्रहण के लिये मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कलेक्टरों पर दवाब डाल रहे हैं। जबकि कुछ जिलों के कलेक्टर ने तो इस कार्य को करने से मना ही कर दिया।
क्या पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा भी है सिर्फ दिखावा?
मोहन यादव द्वारा जून माह में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, खजुराहो, रीवा और सिंगरौली के बीच पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा चालु की। इस सेवा का संचालन निजी चालकों को दिया गया। कई रूट्स में यह सेवा फ्लॉप रही बाकी इनकी सर्विस काफी खराब रही है। कई मौकों में कन्फर्म टिकट होते हुए भी वीआईपी के कारण यात्रियों को ट्रैवल नहीं करने दिया जाता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने यहां भी बिना कोई ठोस विचार या ग्राउंड वर्क किए बगैर सिर्फ अपनी विलासितापूर्ण जीवनशैली के अनुरूप ही ऐसी स्कीम प्रदेश में लागु कर दी। निजी चालकों को भी मनमाफिक स्वतंत्रता देने के पीछे कहीं कोई “उपकृत सेवा” तो नहीं, इसकी जांच की जानी चाहिए।
प्रदेश पर भारी पड़ रही है मुख्यमंत्री मोहन यादव की महंगी लाइफस्टाइल
आज मध्यप्रदेश 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कर्जे में हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी सुख सुविधाओं के लिये हजारों करोड़ों रुपये खर्च कर प्रदेश की वित्तीय व्यवस्था को चौपट करने में जुटे हुये हैं। मुख्यमंत्री की इसी तरह की वित्तीय अनिमित्ताओं के कारण प्रदेश पर पौने चार करोड़ लाख करोड़ से अधिक का कर्ज हो गया है। यानि प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति कर्ज में डूबा हुआ है। जाहिर है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सत्ता में आने के बाद दूसरी बार बाजार से पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। 2500-2500 करोड़ रुपये की दो किश्तों में कर्ज लिया गया है। पहली किश्त का कर्ज 11 साल में और दूसरी किश्त का कर्ज 19 साल में चुकाया जाएगा।
इस साल कर्ज की कुल राशि 40,500 करोड़
इस साल 35 हजार 500 करोड़ का कर्ज लिया जा चुका है। पिछले वर्ष 23 जनवरी को 2500 करोड़, फरवरी माह में 13 हजार करोड़, 26 मार्च को पांच हजार करोड़, अगस्त माह में 10 हजार करोड़ और 24 सितंबर को पांच हजार करोड़ इस तरह आठ बार कुल 35 हजार 500 करोड़ रुपये कर्ज ले चुकी है। उल्लेखनीय है कि अब तक राज्य सरकार 3.75 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज ले चुकी है। वहीं, मध्य प्रदेश के कुल बजट की बात करें तो यह 3.65 लाख करोड़ रुपये का है, लेकिन इससे अधिक मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज है।