मुंबई। महाराष्ट्र सरकार का कैबिनेट विस्तार हो गया और 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है। इसके साथ ही शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) में नाराजगी नजर आ रही है। ऐसे कई नेता नाराज हैं, जो लगातार जीतते आ रहे हैं और फिर भी मंत्री नहीं बनाए गए हैं। सबसे बड़ी मुश्किल तो एकनाथ शिंदे के सामने है और उनकी पार्टी के विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने विदर्भ के संयोजक और उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है। यही नहीं खुलकर नाराजगी जाहिर करते हुए एकनाथ शिंदे से कहा कि ऐसा लगता है कि हमने आपका साथ देकर ही गलती कर दी।
नरेंद्र भोंडेकर ने कहा कि आपने जब ढाई साल पहले शिवसेना से बगावत करके अलग रास्ता अपनाया था तो उन दस निर्दलीय विधायकों में मैं पहला था, जिसने आपका साथ दिया था। मैं बिना किसी स्वार्थ के साथ आपके पास आया और आपकी ढाई साल की सरकार में बिना कुछ मांगे बना रहा। आपने कहा था कि हमारी सरकार होगी और मैं आपको मंत्री पद दूंगा। ढाई साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ और अब फिर से भरोसा मिला कि आपको मंत्री पद दिया जाएगा। आखिर कब तक दूसरे जिलों के मंत्री यहां का प्रभार देखेंगे।
भोंडेकर ने एकनाथ शिंदे से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आखिर हम अपने जिले के लोगों को क्या जवाब दें। वह भंडारा जिले की शहर सीट से लगातार तीसरे बार चुनाव जीते हैं। उन्होंने अपना पद एकनाथ शिंदे, उदय सामंत और श्रीकांत शिंदे को मेसेज करके छोड़ा है। नरेंद्र भोंडेकर ने अपने इस्तीफे के साथ ऐसे नेताओं पर भी भड़ास निकाली है, जो हाल ही में आए हैं और उन्हें मंत्री बना दिया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे भी कई लोग हैं, जो पीछे के दरवाजे से पार्टी में आए और मंत्री बन गए। फिर आखिर ईमानदार और विश्वस्त लोगों के लिए क्या बचा है।
उन्होंने कहा कि मेरे पास 6 जिलों के संयोजक की जिम्मेदारी है, लेकिन मेरे से किसी भी मसले पर सलाह नहीं ली गई। ना ही मुझे कोई सूचना दी गई और मैं खुद भी मंत्री परिषद में जगह नहीं बना सका। ऐसी स्थिति में आखिर मैं अपने क्षेत्र और जिले के लोगों को क्या जवाब दे पाऊंगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि मैं तो विधायक के पद से भी इस्तीफा देने वाला था, लेकिन क्षेत्र की जनता के बारे में सोच कर रुक गया। इस दौरान उन्होंने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की और कहा कि उनकी ओर से बीजेपी जॉइन करने का ऑफर था। मैं उन्हें भी अपना नेता मानता हूं, लेकिन साथ नहीं गया। क्या यह मेरी गलती थी।