भोपाल। राजधानी भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की विधायकी पर छाया संकट लगातार गहराता जा रहा है। गौरतलब है कि उनके खिलाफ विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रहे ध्रुव नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया था, कि आरिफ मसूद ने चुनाव के दौरान जानकारियां छिपाई हैं। इनमे एक आरोप यह भी है कि मसूद ने ने अपने और अपनी पत्नी के नाम पर लिए गए करीब 50 लाख रुपये के लोन की जानकारी चुनाव के दौरान जमा किए गए नामांकन पत्र में नहीं दी थी। इसे लेकर कांग्रेस विधायक ने हाईकोर्ट में भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण की याचिका को निरस्त करने के लिए आवेदन लगाया था। लेकिन हाईकोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया। इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आरिफ मसूद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि जो दस्तावेज पेश किए गए हैं, वे फर्जी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्य के आधार पर फिर से हाईकोर्ट को मामले की सुनवाई के निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने मानी मसूद ने छिपाई लोन की जानकारी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरिफ मसूद को 18 अक्टूबर तक लौन से संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध कराकर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही, हाईकोर्ट ने एसबीआई शाखा प्रबंधक से कांग्रेस विधायक और उनकी पत्नी के लोन की जानकारी मांगी थी। मंगलवार को हुई सुनवाई में अंतिम तर्क सुनने के बाद माना कि एसबीआई बैंक, भोपाल से लोन के लिए पेश किए गए दस्तावेज सत्य और बैंक अधिकारी द्वारा अधिकृत हैं। कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया कि आरिफ मसूद ने चुनाव के दौरान इस लोन की जानकारी छिपाई थी। सुनवाई के दौरान बैंक मैनेजर ने भी स्वीकार किया कि लोन के जो दस्तावेज जारी किए गए हैं, वे सत्य हैं और बैंक के अभिलेखों के अनुरूप हैं। हाईकोर्ट ने माना कि लोन के दस्तावेज सही हैं और किसी भी प्रकार से कूट रचित नहीं माने जा सकते। जानकारो का कहना है कि यदि अंतिम सुनवाई में आरिफ मसूद और उनकी पत्नी द्वारा लिये गये लोन की जानकारी चुनाव के दौरान छिपाने की बात साबित होती है, तो वह भ्रष्टाचार के दोषी पाए जाएंगे। ऐसे में उनकी विधायकी खत्म हो सकती है। मामले में अगली सुनवाई 3 जनवरी को होगी।