Wine: कैसे रखे जाते हैं स्वीडिश व्हिस्की के नाम..?

कोई प्रोडक्ट जब बनता है तो वह सिर्फ एक सामान नहीं होता, उसके पीछे होती है एक कहानी. कहानी जो बताती है कि आखिर ये बना कैसे. यही कहानी कई बार प्रोडक्ट के नाम में छिपी होती है. स्वीडिश व्हिस्की हो या शैंपेन सब के नाम के पीछे एक कहानी होती है। आपको बताते हैं कि आखिर बाजार में बिकने वाली तमाम स्वीडिश व्हिस्की जिसे सरल भाषा में स्विस व्हिस्की भी कहते हैं, के नाम के पीछे की कहानी क्या है।

स्वीडन, दुनिया का एक खूबसूरत देश जो आमतौर पर अपनी बेहतरीन चॉकलेट्स, शानदार महल और सुहाने प्राकृतिक नजारों के लिए जाना जाता है, अब वह धीरे-धीरे पूरी दुनिया में अपनी स्विस व्हिस्की के लिए भी मशहूर हो रहा है.

इस देश की व्हिस्की क्वालिटी और टेस्ट में जितनी कमाल होती है, उतने ही कमाल के होते हैं उनके नाम और उनके नाम से जुड़ी कहानियां. दरअसल, स्विस व्हिस्की के नामकरण की प्रक्रिया आसान नहीं होती. किसी स्विस व्हिस्की का नाम रखने से पहले उसके सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक तत्वों के बारे में पूरी रिसर्च की जाती है।

जैसे सबसे लोकप्रिय स्वीडिश व्हिस्की मैकमायरा को ले लीजिए. इस व्हिस्की का नाम उस गांव के नाम पर है जहां ये पहली बार तैयार की गई. इस गांव का नाम है मैकमायरा व्हिस्की विलेज, जो स्टॉकहोम से डेढ़ घंटे उत्तर में गेवले के पास है. इस गांव में आज भी मैकमायरा की डिस्टिलरी है, जहां आप बेहतरीन स्विस व्हिस्की चख सकते हैं.

स्वीडिश व्हिस्की का नाम कैसे तय होता है

दरअसल, स्वीडिश व्हिस्की का नाम अक्सर उस जगह पर रखा जाता है, जहां वह पहली बार बनी. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि उसकी नकल ना की जा सके. इसे मैकमायरा व्हिस्की से समझिए. दरअसल, मैकमायरा व्हिस्की को मैकमायरा विलेज में पहली बार बनाया गया और आज दुनियाभर में जहां भी आपको मैकमायरा व्हिस्की मिलेगी, उसे इसी विलेज में बनाया गया होगा. यानी आप कहीं और की बनी व्हिस्की को मैकमायरा व्हिस्की नहीं कह सकते।

शैंपेन का मामला भी ऐसा ही है. दरअसल, शैंपेन किसी शराब का नाम नहीं है. बल्कि शैंपेन फ्रांस में एक शहर है. सबसे बड़ी बात कि आप किसी भी स्पार्कलिंग वाइन को शैंपेन नहीं कह सकते. आप उसी स्पार्कलिंग वाइन को शैंपेन कह सकते हैं जो शैंपेन शहर में बनी हो. इस तरह से शैंपेन की कॉपी नहीं हो सकती और यह हमेशा स्पार्कलिंग वाइन्स में यूनिक बना रहता है. स्वीडिश व्हिस्की के पीछे भी यही लॉजिक है.

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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