Vedanta : वेदांता ग्रुप ने इस साल कमाई के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा ग्रुप और टाटा ग्रुप  को पीछे छोड़ा

अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाले वेदांता ग्रुप ने इस साल कमाई के मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा ग्रुप और टाटा ग्रुप  को पीछे छोड़ दिया है। ग्रुप की कंपनियों में वेदांता लिमिटेड और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड शामिल हैं। चालू फाइनेंशियल ईयर में वेदांता ग्रुप के निवेशकों की वेल्थ में काफी इजाफा हुआ है। इस दौरान दोनों कंपनियों का कंबाइंड मार्केट कैप 2.2 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया है। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 28 मार्च से 20 जून के बीच वेदांता समूह के कुल बाजार पूंजीकरण में 2.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा ग्रुप और टाटा ग्रुप जैसे देश के प्रमुख औद्योगिक घरानों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। मेटल किंग के नाम से मशहूर अनिल अग्रवाल की जन्म पटना में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, वेदांता लिमिटेड और हिंदुस्तान जिंक के शेयरों के भाव अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर से लगभग दोगुने हो गए हैं। इस दौरान गौतम अडानी की अगुवाई वाले अडानी ग्रुप और महिंद्रा ग्रुप के मार्केट कैप में 1.4 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि देखी गई। इसी तरह देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा ग्रुप का बाजार पूंजीकरण 60,600 करोड़ रुपये से अधिक बढ़ा जबकि एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के बाजार मूल्यांकन में 20,656.14 करोड़ रुपये से अधिक की गिरावट आई।
वेदांता ने वित्त वर्ष 2023-24 में 30 प्रतिशत के एबिटा मार्जिन के साथ 1,41,793 करोड़ रुपये का अपना दूसरा सर्वाधिक राजस्व और 36,455 करोड़ रुपये का एबिटा अर्जित किया था। वेदांता ग्रुप ने निकट भविष्य में 10 अरब डॉलर की एबिटा आय के लिए एक रणनीतिक खाका तैयार किया है जिसमें जिंक, एल्युमीनियम, तेल एवं गैस और बिजली कारोबार सहित 50 से अधिक वृद्धि परियोजनाओं का समय पर क्रियान्वयन शामिल है। वेदांता ग्रुप में एफआईआई की हिस्सेदारी मार्च तिमाही के अंत में बढक़र 8.77त्न हो गई जबकि दिसंबर तिमाही में यह 7.74त्न थी। 22 मई को वेदांता और हिंदुस्तान जिंक के शेयर ऑल-टाइम हाई पर पहुंचे थे। गुरुवार को वेदांता का शेयर 4.86त्न की तेजी के साथ 470.25 रुपये और हिंदुस्तान जिंक 2.29त्न चढक़र 647.65 रुपये पर पहुंच गया।
अनिल अग्रवाल ने 20 साल की उम्र में ही बिहार छोड़ दिया था और खाली हाथ मुंबई आ गए थे। उनके पास उस समय केवल एक टिफिन बॉक्स था। मुंबई आकर उन्होंने जमकर मेहनत की। साल 1970 में उन्होंने कबाड़ के धंधे से अपने कारोबारी करियर की शुरुआत की। उन्होंने अपनी पहली कंपनी की स्थापना की, जिससे उन्हें अच्छी-खासी कमाई हुई। साल 1976 में अग्रवाल ने शमशेर स्टर्लिंग केबल कंपनी को खरीदा। लेकिन बाद में धंधा नहीं चला तो उनके पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं बचे। इसके बाद अनिल अग्रवाल ने 9 अलग-अलग बिजनस शुरू किये, लेकिन सभी फेल हो गए। उन्होंने अपने शुरुआती 20-30 साल संघर्ष में बिताए। कैंब्रिज में अपने एक संबोधन में अग्रवाल ने बताया था कि वह कई साल तक डिप्रेशन में रहे थे। वे लगातार कोशिश करते रहे लेकिन सफलता नहीं मिली
इसके बाद साल 1986 में भारत सरकार ने टेलीफोन केबल बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मंजूरी दे दी। इससे पहले 1980 में अग्रवाल ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को खरीद लिया था। इसके बाद साल 1990 में अग्रवाल ने कॉपर रिफाइंड का काम शुरू किया। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज देश की पहली ऐसी प्राइवेट कंपनी थी, जो कॉपर रिफाइन करने का काम करती थी। इसके बाद अग्रवाल लगातार सफलता की नई कहानी लिखते चले गए। वेदांता रिसोर्सेज एक नेचुरल रिसोर्सेज कंपनी है जिसकी दुनियाभर में मौजूदगी है। यह मिनरल्स, ऑयल एंड गैस को निकालती है और प्रोसेस करती है। कंपनी के करीब 64 हजार कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्टर्स हैं। मुख्य रूप से यह कंपनी भारत, अफ्रिका, आयरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में है। दुनियाभर में कंपनी के प्रोडक्ट्स बिकते हैं।

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