5G Spectrum: दूसरी नीलामी में सरकार को 85 हजार करोड़ का घाटा, कुल ₹11,340 करोड़ की बोलियां मिलीं, जियो को पीछे छोड़ एयरटेल बनी नंबर-1

नई दिल्ली। बुधवार को खत्म हुई 5जी स्पेक्ट्रम की दूसरी नीलामी में कुल ₹11,340 करोड़ की बोलियां मिलीं, जबकि सरकार ने इस नीलामी से ₹96,317.65 करोड़ रुपए  जुटाने का लक्ष्य रखा था।  प्रतिस्पर्धा में कमी के चलते 85 हजार करोड़ का राजस्व कम मिला है। अब ये घाटा किसके खाते में जाएगा? कौन जिम्मेदार है? इसकी शायद चर्चा भी नहीं होगी, क्योंकि ये सब कुछ प्रायोजित जैसा ही था।

भारत में 5G Spectrum की कीमत 96 हजार करोड़ रुपये है, और सरकार को इसकी पूरी उम्मीद थी कि अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा। पहले साल 2022 में नीलामी में स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी, जिसमें सरकार को रिकॉर्ड तोड़ 1.5 ट्रिलियन रुपये की कमाई हुई थी। लेकिन इस बार नीलामी में मात्र तीन ही कंपनियां आईं और सरकार को 85 हजार करोड़ का घाटा हो गया।

इस स्पेक्ट्रम नीलामी में रिलायंस जियो ने ₹974 करोड़ में 14.4 मेगाहर्ट्ज़ के स्पेक्ट्रम, वोडाफोन-आइडिया ने ₹3,510 करोड़ में 50 मेगाहर्ट्ज़ स्पेक्ट्रम और भारती एयरटेल ने ₹6,857 करोड़ में 97 मेगाहर्ट्ज़ स्पेक्ट्रम खरीदे।

मोतीलाल ओसवाल का मानना है कि भारती एयरटेल ने 12 सर्किलों के लिए 900 मेगा हर्ट्ज बैंड में खरीदारी पर 4,200 करोड़ रुपये खर्च किया. इसी तरह उसने 5 सर्किलों में 1800 मेगा हर्ट्ज बैंड खरीदने पर 700 करोड़ रुपये और 4 सर्किलों में 2100 मेगा हर्ट्ज बैंड खरीदने पर 500 करोड़ रुपये खर्च किया. इस तरह अनुमान है कि एयरटेल ने इस नीलामी में कुल 5,400 करोड़ रुपये खर्च किया. यानी कंपनी ने अकेले लगभग 50 फीसदी का योगदान दिया।

एयरटेल और वोडाफोन की खरीदारी

रिपोर्ट में एनालिस्ट के हवाले से कहा गया है कि भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने स्पेक्ट्रम खरीदने में उन टेलीकॉम सर्किल का ध्यान रखा, जहां उनके परमिट इस साल एक्सपायर हो रहे हैं. वहीं एसरटेल ने sub-GHz स्पेक्ट्रम में स्थिति को मजबूत करने के लिए 900 मेगा हर्ट्ज बैंड की अतिरिक्त खरीद की. कंपनी ने 2100 मेगा हर्ट्ज बैंड में भी स्पेक्ट्रम की खरीदारी की, जिससे पता चलता है कि कंपनी ग्रामीण इलाकों में 4जी नेटवर्क को मजबूत बनाने और देश भर में 5जी कवरेज देने पर ध्यान लगा रही है।

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