Editorial
शेयर बाजार और उथल-पुथल

पिछले पांच अगस्त को पूरी दुनिया के शेयर बाजार धड़ाम हो गया, लेकिन अच्छी बात ये रही कि एक दिन बाद ही सम्हल गया। जिसे क्रैश समझा जा रहा था, उसे मार्केट-करेक्शन बताया गया। लेकिन विश्लेषक पूछ रहे हैं कि क्या सबसे बुरा समय बीत चुका है या अभी आना बाकी है? इस सप्ताह हमने बाजार में जैसी उथलपुथल देखी, वह अगले सप्ताह भी जारी रह सकती है। विश्लेषक और समीक्षक कह रहे हैं- अपनी कमरपेटियों को कसकर बांध लीजिए, आगे बहुत झटके लगने वाले हैं।
सच तो यह है कि शेयर बाजार पूरी तरह से अनिश्चितताओं से भरा हुआ है। सबको पता होना चाहिए कि इसका आधे से ज्यादा व्यापार हवा में ही होता है। और यह हवाई खेल ही है। यदि किसी को वाकई शेयर बाजार की सही जानकारी होती तो वो अरबों डॉलर कमा रहा होता। लेकिन हकीकत यह है कि एक अस्थिर शेयर बाजार, यहां तक कि एक शांत शेयर बाजार के बारे में भी कोई सटीक भविष्यवाणी करना या पूर्वानुमान लगाना आसान नहीं है।
गत सोमवार को जैसे बाजार टूटा, उसके पीछे क्या कारण थे? इस पर विशेषज्ञों के अपने अपने मत हो सकते हैं। असल में इसकी शुरुआत जापान के बेंचमार्क टॉपिक्स इंडेक्स में सोमवार को 12 प्रतिशत की गिरावट के साथ हुई। जिसके बाद अन्य एशियाई देशों और यूरोप के शेयरों में भी गिरावट आई। अमेरिका में कुछ कम नाटकीय लेकिन पर्याप्त गिरावट हुई। संदर्भ देखें तो पता चलता है कि एसएंडपी 3 प्रतिशत और नैस्डेक 3.43 प्रतिशत टूटा। एनएसई निफ्टी में 2.7 प्रतिशत की गिरावट आई और एक दिन बाद फिर से उछाल आया, जैसा कि वैश्विक स्तर पर अधिकांश बाजारों के शेयरों में हुआ।
टॉपिक्स में गिरावट अमेरिकी फेडरल रिजर्व और बैंक ऑफ जापान की मौद्रिक नीतियों से जुड़ी है। फेड ने पिछले दो वर्षों में अमेरिकी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में लगातार वृद्धि की है, जबकि बैंक ऑफ जापान ने हाल ही में अपनी ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया था। इसने निवेशकों के लिए डॉलर या यूरो या- जिसे ‘कैरी ट्रेड’ कहा जाता है, उसमें निवेश के लिए सस्ती दरों पर जापान की मुद्रा येन में उधार लेने का रास्ता खोल दिया। इससे येन कमजोर हो गया। कमजोर येन ने निर्यात को बढ़ाया और जापानी निर्यातकों को अपनी कमाई डॉलर में रखने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे येन की मांग कम हो गई और येन और कमजोर हो गया। इस प्रवृत्ति को देखते हुए निवेशकों ने येन की टूटन पर दांव बढ़ा दिए, जिसका मतलब यह था कि येन का मूल्य और गिरेगा।
उन्हें उम्मीद थी कि बैंक ऑफ जापान कोई कार्रवाई नहीं करेगा और फेड अपनी ब्याज दर में कटौती करेगा। लेकिन इसके बजाय 31 जुलाई को, बैंक ऑफ जापान ने अपनी बेंचमार्क दर 0.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.25 प्रतिशत कर दी। येन के मूल्यों में और गिरावट पर दांव लगाने वाले निवेशक घबरा गए और अपने नुकसान को कवर करने के लिए दूसरी दिशा में दौड़ पड़े। नतीजा यह रहा कि येन की कीमत में वृद्धि हुई, जिससे जापानी शेयरों में गिरावट आ गई। लेकिन एक दिन बाद ही शेयरों में उछाल यह बताती है कि निवेशक जापानी कंपनियों को बहुत अधिक संकट में नहीं मानते हैं।
इस सप्ताह की गिरावट या सुधार के अलावा, वैश्विक टेक दिग्गजों के शेयरों में भी तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। जुलाई के मध्य से नैस्डेक 100 में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। इसे भी हाईप्ड-अप टेक स्टॉक्स में करेक्शन के रूप में देखा जाना चाहिए, जो टेक सेक्टर- विशेष रूप से एआई के बारे में बढ़ती उम्मीदों को दर्शाता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अमेरिका में व्यापारियों द्वारा खुद को बचाने के लिए भुगतान की जाने वाली राशि को मापने वाला अस्थिरता सूचकांक इस सप्ताह भी तेजी से बढ़ा। यह दर्शाता है कि डर का माहौल जारी है। कई लोगों को डर है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, हालांकि इसकी बुनियादी स्थितियों में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो इस तरह के अंदेशे को जन्म दे।
ये सच है कि पिछले सप्ताह की जॉब मार्केट रिपोर्ट उम्मीद से कुछ कमजोर थी, लेकिन 4.3 प्रतिशत की बेरोजगारी दर इस बात का संकेत है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है। लेकिन मौजूदा क्रैश और कनेक्शन के बावजूद अमेरिकन स्टॉक अतिमूल्यित बने हुए हैं। यही हालत भारतीय स्टॉक की भी है।
खबरों और बाजार समीक्षकों के साथ ही जानकारों का मानना है कि शेयर बाजार अपनी मूल प्रवृत्ति अस्थिरता को नहीं छोड़ सकता। इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं। फिलहाल आगे मंदी की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। साथ ही भारत और कई देशों में जिस तरह से बेरोजगारी और महंगाई बढ़ती जा रही है, आर्थिक असंतुलन बहुत बुरी तरह से बिगड़ रहा है, उसे देखते हुए बाजार कब पलट जाए, नहीं कहा जा सकता। बस दुनिया में जो एक-दो प्रतिशत टाप के अमीर हैं, उनका खेल जारी रहेगा। वो जब चाहेंगे, बाजार गिर जाएगा, जब चाहेंगे सम्हलने लायक हो जाएगा। पर इस दौर में करोड़ों लोग अपना बहुत कुछ गंवा चुके होंगे।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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