Economy: भारत के लिए दिग्गज इकनॉमिस्ट का इनहेरिटेंस टैक्स का सुझाव, रघुराम राजन ने बखिया उधेड़ डाली
नई दिल्ली। पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने वेल्थ और इनहेरिटेंस टैक्स जरिये धन-दौलत के रीड्रिस्ट्रीब्यूशन के पारंपरिक तरीकों की प्रभावशीलता पर चिंता जताई है। उनका तर्क है कि अमीर इन टैक्सों से बचने के तरीके आसानी से खोज सकते हैं। राजन की राय अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी के हाल ही में लिखे गए शोध पत्र के जवाब में थी। पिकेटी ने 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति पर 2 फीसदी टैक्स और 33 फीसदी इनहेरिटेंस टैक्स लगाने की वकालत की है। इन उपायों का उद्देश्य भारत में बढ़ती असमानता को दूर करना और सामाजिक क्षेत्र के निवेश के लिए धन आवंटित करना है।
पिकेटी के शोध पत्र का शीर्षक ‘भारत में अत्यधिक असमानताओं से निपटने के लिए संपत्ति कर पैकेज के लिए प्रस्ताव’ है। इसमें अमीरों पर कॉम्प्रिहेंसिव टैक्स पैकेज का प्रपोजल किया गया है। इंडिया $ ग्लोबल लेफ्ट के पॉडकास्ट में राजन ने कहा, ‘मुझे एक भी ऐसा देश दिखाइए जिसने कहीं भी गंभीर वेल्थ टैक्स वसूला हो और मैं इस पर पिकेटी को चुनौती देता हूं। कोई भी सार्थक वेल्थ टैक्स लीजिए और मुझे एक भी ऐसा देश दिखाइए जिसने इस पर बहुत टैक्स वसूला हो।’
राजन ने दिया अमेरिका जैसे देशों का उदाहरण
राजन ने इस बात पर जोर दिया कि इन टैक्स को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर रहना काफी नहीं है। उन्होंने अमेरिका जैसे देशों के उदाहरण दिए, जहां वेल्थ टैक्स लगाने के प्रयासों के बावजूद वास्तविक कलेक्शन की रकम न्यूनतम है।
अमीरों पर टैक्स लगाकर स्तर को नीचे लाने के बजाय राजन छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए अधिक अवसर पैदा करके ‘स्तर को ऊपर उठाने’ की वकालत करते हैं। राजन उद्योगों में किसी भी एकाधिकारवादी व्यवहार को रोकने के लिए मजबूत प्रतिस्पर्धा आयोग के गठन की बात करते हैं।राजन के मुताबिक, ‘यह छोटे और मध्यम क्षेत्रों के लिए अधिक अवसर पैदा करने में कहीं अधिक प्रभावी होगा… एक बेहतर वित्तीय प्रणाली जो न केवल बड़े लोगों को बल्कि इन क्षेत्रों को कर्ज देती हो।’
अपर मिडिल क्लास पर बढ़ेगा बोझ
राजन ने जिक्र किया कि टैक्सेशन से मुख्य रूप से अपर मिडिल क्लास प्रभावित होगा। उन्होंने कहा, ‘वे पहले से ही ज्यादा टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। वेतनभोगी होने के कारण वे वास्तव में अपनी आय से उत्पन्न टैक्सों का भुगतान करते हैं। यह बहुत अमीर लोगों पर असर नहीं डालेगा। कारण है कि वे इससे बचने के लिए हर तरह के तरीके खोज लेंगे। मेरा विश्वास करें कि अगर वे ऐसा नहीं कर सके तो एक ऐसी प्रक्रिया तैयार कर देंगे जो इसे कर देगी। राजन जोर देते हैं कि टैक्सों के जरिये धन समानता हासिल करने के लिए सिर्फ साम्यवादी क्रांति जैसे चरम उपाय की जरूरत होगी। ऐसी क्रांति स्थिर समाधान प्रदान करने के बजाय हिंसा और गरीबी की ओर ले जाती है।
राजन निष्पक्ष टैक्स प्रथाओं के महत्व पर जोर देते हैं। वह उन खामियों को दूर करने की जरूरत पर भी प्रकाश डालते हैं जो आय को पूंजीगत लाभ के रूप में छिपाने की इजाजत देती हैं। इस पर कम दरों पर टैक्स लगाया जाता है। वे एसएमई के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा और वित्त तक बेहतर पहुंच की वकालत करते हैं। वह यह सुनिश्चित करने के महत्व पर भी जोर देते हैं कि हर कोई अपने हिस्से का टैक्स चुकाए। राजन का मानना है कि प्रतिस्पर्धी माहौल को बढ़ावा देने और टैक्स चोरी को रोकने से भारत में आय असमानता की समस्या से अधिक प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।