Business: रिटेल कारोबार में बड़ा नाम फ्यूचर ग्रुप 3 साल में ध्वस्त… अब ब्राडवे के नाम से उतरेगा बाजार में…

फ्यूचर ग्रुप के मालिक किशोर बियानी को कुछ साल पहले तक रिटेल किंग के तौर पर जाना जाता था। बियानी ने फ्यूचर रिटेल के जरिए रिटेल कारोबार का एक पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया था। लेकिन, अब सब-कुछ खत्म होने के कगार पर। ‘बिग बाजार’ फ्यूचर कभी इनका रिटेल में फ्लैगशिप ब्रांड था। लेकिन, अब बताते हैं कि ‘ब्रॉडवे’ के नाम से बियानी परिवार फिर मार्केट में उतर रहा है। इस बार कारोबार की कमान भतीजे और दोनों बेटियां संभालेंगी।
जब हालत दिवालिया होने की आ गई तो पहले किशोर बियानी ने मुंबई का मॉल बेचा। लेकिन, अब कंपनी बंद होने जा रही है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई शाखा ने फ्यूचर रिटेल को परिसमापन के लिए स्वीकार कर लिया है। भारी कर्ज में डूबे फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन किशोर बियानी की आर्थिक हालात इन दिनों बहुत खराब है। कभी इनके पास बेशुमार दौलत थी, लेकिन अब हालत ऐसी है कि कंपनी बिकने जा रही है।
परिसमापन एक दिवालियापन प्रक्रिया है, जिसका उपयोग किसी सीमित कंपनी को बंद करने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया तब शुरू की जाती है, जब कंपनी के फिर से खड़े होने की संभावना नहीं दिखाई देती। संजय गुप्ता को कंपनी का परिसमापक नियुक्त किया गया है। हृष्टरुञ्ज ने कंपनी के समाधान पेशेवर विजयकुमार वी अय्यर के आवेदन को भी स्वीकार किया।
दिग्गज बिजनेसमैन की ये हालत कैसे हुई 
किशोर बियानी ने सबसे पहले अपने फैमिली बिजनेस से अपने सफर की शुरुआत की। अपने कपड़े के बिजनेस को 1987 में नया बदलाव किया और रेडीमेड कपड़ों की ओर मोड़ दिया। फ्यूचर ग्रुप ने बिग बाजार का पहला स्टोर साल 2001 में खोला था। साल 2006 तक ये बढक़र 56 हुए और 2008 तक 116 हो गए। हालांकि, 2008 की मंदी का कंपनी पर बुरा असर पड़ा, लेकिन कंपनी फिर भी ये कंपनी संकट को झेल गई। हर साल इसके नए स्टोर खुल रहे थे, साल 2019 आते-आते इसके कुल 295 स्टोर हो गए। लेकिन, साल 2019 के बाद जब स्टोर बंद हुए और भारी कर्ज को चुकाने के लिए पैसे नहीं आ रहे थे, तो कंपनी पर भारी संकट आ गया। आलम यह है कि आज फ्यूचर रिटेल कंपनी बंद होने की कगार पर खड़ी है।
धीरे-धीरे कंपनी आकार ऐसे बढ़ता गया 
ऐसा नहीं कि रातों-रात ये इतना बड़ा नाम बन गया। इसके शुरू होने की कहानी काफी पुरानी है। 1987 में मेंस वेअर प्रालि नाम से कंपनी की शुरुआत हुई थी। 1991 में कंपनी का नाम बदलकर पैंटालून फैशन (इंडिया) लिमिटेड कर दिया। 1992 में का आईपीओ आया 1994 में पैंटालून शॉपी के नाम से देशभर में एक्सक्लूसिव मेन्सवेयर स्टोर की शुरुआत की गई। कंपनी ने देश में मल्टी-ब्रांड रिटेल स्टोर के ब्रांडेड कपड़ों की बिक्री शुरू की।
साल 2019 में फोर्ब्स की अमीरों की लिस्ट में किशोर बियानी 80वें नंबर पर थे। 2019 से पहले उनका कारोबार तेजी से फैल रहा था। किशोर बियानी के लिए साल 2019  सबसे संकट वाला रहा। उसके बाद कोरोना की वजह से संकट और गहरा गया। किशोर बियानी कर्ज में डूबते गए और फिर उसके बाद रिलायंस से डील टूटी, अमेजन से लंबे समय तक कोर्ट में विवाद चलता रहा, जिससे कारोबार तबाह कर दिया।
कंपनी पर इतना भारी कर्ज 
पीठ ने पाया कि कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिय की अधिकतम अवधि समाप्त हो चुकी है और अभी तक लेनदारों की समिति द्वारा कोई समाधान योजना स्वीकृत नहीं की गई। उस रिटेल कारोबारी पर 28,452 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां हैं, जिनमें वित्तीय लेनदारों का 14,422 करोड़ रुपए का दावा भी शामिल है। हृष्टरुञ्ज ने अपने आदेश में कहा कि हमारा मानना है कि यह परिसमापन के लिए उपयुक्त है, लेकिन कॉरपोरेट देनदार को एक चालू व्यवसाय के रूप में बेचने का प्रयास करना चाहिए।

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